“भविष्य के उस्तादों के नाम”
“भविष्य के उस्तादों के नाम” ( — नए युग के सच्चे मार्गदर्शक — ) ( — शिक्षक दिवस 2025 के अवसर पर हृदय पूर्ण समर्पित — ) इस कविता के द्वारा, कवि अपनी सोच को व्यक्त करते हुए ये कहना चाहते हैं कि भविष्य में तकनीक चाहे कितनी भी आगे बढ़ जाए, पर एक गुरु का स्नेह, मार्गदर्शन और मानवीय स्पर्श ही बच्चों के चरित्र निर्माण और जीवन को सार्थक बनाने की असली नींव रहेगी। शिक्षा का सच्चा उद्देश्य केवल जानकारी देना नहीं, बल्कि संस्कार देना और आत्मा को प्रकाशित करना है। यही कारण है कि आने वाले कल में भी गुरु ही वह ज्योति रहेंगे, जो अंधकार को मिटाकर हर शिष्य के मन में आशा, सत्य और इंसानियत की रोशनी जलाएँगे। कल की सुबह — जब बच्चे कक्षाओं में कदम रखेंगे, न होंगी केवल दीवारें और ब्लैकबोर्ड, बल्कि चारों ओर होलोग्राम होंगे। डिजिटल बोर्ड पर चमकेगा गणित का ज्ञान, रोबोट समझाएँगे सूत्र, स्क्रीन दिखाएगी इतिहास। जब बच्चे बैठेंगे डिजिटल आसनों पर, किताबें सिमट जाएँगी टैबलेट की पलकों में, और सपने झिलमिलाएँगे वर्चुअल स्क्रीनों पर। ड्रोन लाएँगे पन्ने, वी आर दिखाएगा जहाँ का नक्शा, पर सच्चाई यही रह...