“ख्यालों की किताब”

ख्यालों की किताब

एक बे-जुबान सोच का सन्नाटा

यह कविता एक उदासीन दर्पण है, जिसमें जीवन की बेचैनी, अकेलापन और अनकहे दर्दों की कहानीओवरथिंकिंगकी किताब के माध्यम से दर्शाई गई है। इस कविता के द्वारा कवि अपनी सोच को व्यक्त करते हुए ये कहना चाहता है कि, जब हम ज्यादा सोचते हैं तो दिल और दिमाग दोनों परेशान हो जाते हैं, और जिंदगी की खुशियों को महसूस कर पाना मुश्किल हो जाता है और हमारे मन में बेचैनी और दर्द बढ़ने लगता है। ये कविता इस बात को दर्द भरी भावनाओं के साथ समझाती है कि ओवरथिंकिंग (जरूरत से ज्यादा सोचना) एक ऐसी किताब है जो कभी खत्म नहीं होती, जिसमें हर पन्ने मैं दर्द और तन्हाई के अफसाने लिखे होते हैं। ये कविता हमारे अंदर के उस सुनसान जहां को दिखती है जहां हर ख्याल एक गहरा जख्म बन जाता है, और कभी-कभी सिर्फ सोचना ही जिंदगी का बोझ बन जाता है।


ज़हन में एक किताब है, बिना लिखे अल्फाज़ो की,

हर सफ़्हा एक याद हैबेकार सी राहों की।

रात को मन क्यों चीख़ उठता है बेहाल?

जैसे अंधेरा चमक उठे... और रौशनी हो नाकाम।


अगर ओवरथिंकिंग एक किताब होती,

तो हर सफ़्हे पर बस ख़ामोशी लिखी होती।

स्याही की जगह आँसू से लिखी जाती,

और हर लफ्ज़ में कुछ ना कुछ बाकि रह जाता।


अगर ओवरथिंकिंग एक किताब होती,

हर पन्ने पर बस तन्हाई की बात होती।

हर शब्द में उलझे सवाल होते,

हर सन्नाटे में सुलगते ख़याल होते।


हर अध्याय शुरू होता, “क्या होता अगर…” से,

और ख़त्म होताकाश मैंने…” के साये तले।

फुटनोट में अश्क के जलते निशाँ मिलते,

मार्जिनों पे बस ग़म के फसाने रहते।

 

इंडेक्स में लिखा होता

सब कुछ तो था, पर सुकून कहाँ था?”

और एकनॉलेजमेंट में बसा ये पैगाम

उन बेक़रार रूहों के नाम”,

जो सोचते रहे... पर कभी जी सके तमाम।

 

कवर पे मुस्कुराहट की तस्वीर होती,

पर अंदर सब वीरान सी लगती।

एक ऐसी डायरीजहाँ ख़ुशी की जगह

महज़ एक ख़ालीपन की झलक समाई होती।

बाइंडिंग कमज़ोर, और पन्ने नाज़ुक

जैसे दिल की हालत बयाँ कर रहे हों।

जो एक बार खुल गई तो...

फिर बंद करना मुश्किल हो।

 

कवर पर लिखा होता बस इतना:

ये दर्द है, पढ़ना संभल कर ज़रा

क्योंकि ओवरथिंकिंग की ये किताब,

हर पाठक को कर दे अंदर से वीरान।

 

किरदार होते:

वोजो कभी कुछ कह पाए,

मैंजो हर बात पे ख़ुद से ही ख़फ़ा रहे।

और एकक्यों?” — जो हर वाक्य में दोहराये,

जैसे कोई टूटी रेकॉर्डजो हर लम्हा बजता ही रहे।

 

ग्लोसरी में लिखा होता:

फ़िक्रवो लफ़्ज़ जो कभी बयान हो सका,

बस महसूस हुआ, दिल के दरमियान।

आख़िरी पन्ने पर एक पंक्ति बोल्ड में लिखी होती:

दी एंड (The End) — शायद डर किसी नई शुरुआत का।

 

बेज़ुबान दर्दों का अफ़साना अब कौन पढ़ेगा?

ना लिखा गया, ना कभी कोई समझ पायेगा।

दिल के कोनों में जो चुपचाप पलता रहा,

उस सन्नाटे की जुबां को आखिर कौन समझेगा?

किताबों में दिल नहीं होते, बस अल्फ़ाज़ होते हैं,

और अगर उन अल्फाज़ो में कोई रोयाये किसको दिखेगा?

 

शायरी की तरह नहीं, ये किताब तो एक श्राप होती,

जो रोज़ लिखी जाती, पर कभी पूरी होती।

हर बार जब सोचा जाताएक नया एडिशन निकले,

पर हर बार लेखक वही रहता

एक थका हुआ इंसान, जो बस सोचता रह जाता।

 

किताब होती अगर ये दिमाग़ का शोर,

हर पन्ने पे लिखा होता एक ज़ख्मएक ज़ोर।

रातों की स्याही में डूबे होते वो अल्फ़ाज़,

हर लाइनबस दर्द भरी, ना कोई ख्वाहिश, ना नींद का आग़ाज़।

 

कभी लफ्ज़ों में उलझता वक़्त का पहिया,

कभी यादों के जंगल में खो जाती राहें।

हर वाक्य एक सिसकी, हर पंक्ति एक चीख,

पर पढ़ने वाला कोई नहीं, बस ख़यालों की हे भीड़।

 

मुकम्मल होती कभी ये कहानी,

अधूरे सवाल; अधूरी निशानी।

बंद होता कोई लफ़्ज़, कोई सिलसिला,

बस चलता रहतादिल का ये बेज़ुबान अफ़साना।

 

अगर ज़िंदगी एक किताब होती,

ओवरथिंकिंग उसकी बेस्टसेलर होती।

पर सिर्फ़ उन्हीं के लिए

जो रात भर जागते रहते,

और सुबह खुद से पूछते

क्या मैं सच में ज़िंदा हूँ, या बस सोचता ही रहता?

 

परछाइयों में लिपटी, तन्हाई की किताब,

हर साँस पे भारी, हर ख्वाब बेख्वाब।

चुपके से रोती, आँखों का पानी,

इस किताब की हर कहानी, एक अनकही निशानी।

 

किताब बंद है, पर कहानी अभी भी चलती है,

ख्वाबों की धूल में, यादों की तस्वीर जलती है।

क्या खूब लिखा था तक़दीर नेदर्द भी एक हिफाज़त है,

और यादें हैं एक तलवार, जो हर दफ़ा नई चोट देती हैं।

 

तो अगर ओवरथिंकिंग की कोई किताब होती,

मैं हर पन्ना फाड़ देता, मगर पढ़े बिना भी रह पाता।

क्योंकि कुछ ख़ास दर्द उसमें लिखे होते हैं,

और कुछ जवाब सवालों में ही छुपे होते हैं।

 

ये दर्द नहीं, ये इक रिवायत है ज़हन की,

जो लिखी गई, मगर हर पन्ने पे छाई है।

 

“— शब्दों में बसा वो दर्द, जो किताब बनकर भी बयां हो पाया —”

“— टूटे मन की स्याही से लिखा गया —”

 

 

- हार्दिक जैन। ©
इंदौर (मध्य प्रदेश)

Writco ©

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