“ग़ज़ल – ए – माँ”

 ग़ज़ल – ए – माँ

जीवन का सबसे हसीन तोहफा


इस कविता के द्वारा कवी अपनी सोच को व्यक्त करते हुए ये कहना चाहता है की माँ का पचासवाँ जन्मदिन सिर्फ एक उत्सव नहीं, बल्कि उनके प्यार और त्याग का एक सुनहरा इतिहास है। माँ की ममता, दुआएँ और उनकी मौजूदगी जीवन की सबसे बड़ी दौलत हैं। यह कविता माँ के प्रति असीम सम्मान और स्नेह का इज़हार तथा उनके आशीर्वाद की अहमियत को सलाम करती है। ये कविता एक बेटे (हार्दिक) का वो प्यार भरा इकबाल है, जो वो अपनी माँ के चरणों में लिखकर उन्हें अमर बनाना चाहता है।

 

आपकी दुआ से महक रहा हैं हार्दिक का दिल,
आपके बिना अधूरा है सब, जन्मदिन मुबारक हो, माँ।

 

आपके चेहरे पे उजालों का मेला है,
पचास बरसों की तपिश भी आज चाँदनी-सा ठहरा है, माँ।

आपके आँचल की ख़ुशबू में अब भी वही सुकून है,
ज़िन्दगी के हर रंग में आप ही मेरी जूनून है, माँ।

 

पचास बरस की रौशनी, है रौशन ये चिराग़, माँ।
आपकी दुआओं से सज़ा है हार्दिकका संसार, माँ।

 

आपकी मुस्कुराहट में सारा जहाँ महका है,
आपकी परछाई से ही होता है रौशन हर द्वार, माँ।

 

आपकी हँसी से महके घर के सारे दालान,
आपकी बातों से खिलते हैं दिल का ये बाग़, माँ।

 

आपके नूर से सजता है, हर सुबह का उजियारा,
आपके प्यार से मिलता है, ख़ुदा का इज़हार माँ।

 

पचास बरस - जैसे बग़ीचे का खिला हुआ गुलाब,
हर काँटे को सहकर भी महकाये आप बेहिसाब, माँ।

वक़्त ने सीखा दिया सब्र का सफ़र,
आपके दिल ने लिखी मोहब्बत की अमर सतर, माँ।

 

गुज़रे लम्हों की यादें बन गईं रंगीन दास्ताँ,
आपकी ममता से लिखा है हार्दिक की तक़दीर की किताब, माँ।

 

ज़िंदगी के सफ़र में आप ही है रहमत की छाँव,
आपके क़दमों से मिलती है सुकून की बहार, माँ।

 

आपके आँचल में सिमटी है पूरी कायनात,
आपके बिना अधूरा है हर रंग, हर ख़्वाब, माँ।

 

आपके संग है उजाला, आपके संग है तराना,
आपकी ममता है सबसे हसीन ताज-ए-शानदार, माँ।

 

आपकी आँखों में चमक है जैसे हो कोई तारा,
आपके कदमों में सजे हैं रूह के त्योहार, माँ।

 

पचास बरस का सफ़र भी लगे बस एक पल,
आपकी दुआओं से मिलता रहा हर उपहार, माँ।

 

जन्मदिन आपका है जश्न-ए-ज़िंदगी की ताज़गी,
आपके साथ ही है हार्दिक ख़ुशियों का ये खुला आसमान, माँ।

 

आपके बिना अधूरी है दुनिया की ये रंगत,
आपके साथ है मुकम्मल हर अरमाँ, माँ।

 

आपके बिना ये जहाँ कुछ भी पूरा नहीं,
हार्दिक की हर जीत की मंज़िल हो आप ही, माँ।

 

सुनलो आज हार्दिक के दिल की यह पुकार,
आपका होना ही है उसकी दुनिया का त्यौहार, माँ।

इक नया अध्याय लिखोगे आप, यह मेरी दुआ है,
आपके बिना तो अधूरी है हार्दिक की हर दास्ताँमाँ।

 

हार्दिक का हर सफ़र आपकी दुआ से मुकम्मल,
उसके अशआर की रोशनी भी आप ही हो, माँ।

 

हार्दिक जैन©
 
इंदौर ।। मध्यप्रदेश ।।

Writco ©


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